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Showing posts from May, 2022

धम्म और धर्म में जमीन आसमान का अंतर है। JyotishAmbedkar

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  धम्म और धर्म में जमीन आसमान का अंतर है। एक जमीन है तो दूसरा आसमान है। एक विज्ञान यानि जांचने परखने (परिक्षण/रिसर्च) पर खडा है तो  दूसरा कल्पना यानि बिना जांचे परखे सिर्फ मानने से चल रहा है। एक मुंह खोलकर प्रश्न के सवाल जवाब पर खरा है तो दुसरा मुंह बंद करके सिर्फ सुनने और मानने का आदेशों निर्देशों का पुलिंदा है। एक सवालों से निखरता है और दूसरा सवालों से डरता है। एक वैज्ञानिक है तो दूसरा अवैज्ञानिक है। एक प्राकृतिक (Natural) है तो दूसरा अप्राकृतिक है।  Jyotish Ambedkar एक को जानने से व्यक्ति करुणामयी, अहिंसक बनता है और  दुसरा हिंसक बनाता है।एक मानसिक विकार दूर करता है दूसरा मानसिक रोगी बनाता है। एक में बहुसंख्यक लोगों का भला है तो दूसरे में सिर्फ काल्पनिक बातों का प्रचार प्रसार करनेवाले  अल्पसंख्यक लोगों दवारा बहुसंख्यकों का शोषण है। इसलिए कार्ल मार्क्स ने धर्म को अफीम कहा है  * यानि नशा सिर्फ बर्बाद करता है। @JyotishAmbedkar

My Education For My Society मेरा सिक्षा मेरे समाज के लिए

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My Education For My Society साथियों बाबा साहेब अंबेडकर ने जब विदेश में पढ़ने हेतु छत्रपति शाहूजी महाराज से कर्ज मांगा तो छत्रपति शाहूजी महाराज ने बाबा साहेब अंबेडकर का इंटरव्यू लिया और पूछा कि मिस्टर अम्बेडकर अगर मैं आपको विदेश में पढ़ने हेतु पैसे दूंगा और आप जब विदेश से पढ़कर भारत वापस आओगे तो बदले में मुझे क्या दोगे? बाबा साहेब अंबेडकर ने इसका जवाब दिए कि आपके पैसे से अगर मैं विदेश से पढ़कर वापस आऊंगा  तो  (MY EDUCATION IS FOR MY SOCIETY) मेरा शिक्षा मेरे समाज के लिये होगा। इसी शर्त पर बाबा साहेब अंबेडकर विदेश से पढ़कर जब भारत आये, तो उन्होंने 1916 से लेकर 1956 तक समाज के लिये संघर्ष किये। छत्रपति शाहूजी महाराज को दिए गए वचन के मुताबिक बाबा साहेब अंबेडकर ने वो कर दिए जो छत्रपति शाहूजी महाराज चाहते थे। बाबा साहेब अंबेडकर ने सारे बहुजन महापुरुषों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर दुनियां का विशाल संविधान देकर हजारों वर्षों की गुलामी को पल भर में खत्म कर दिए।  जब देश में संविधान लागू हुआ तो क्या हुआ ?  जिस समाज को मरे हुए जानवर के मांस खाने के लिए कुत्तों से लड़ना पड़ता था उस समाज में बाबा स