DNA_ने_सिद्ध_किया_ब्राह्मण_विदेशी_है

 #DNA_ने_सिद्ध_किया_ब्राह्मण_विदेशी_है

DNA ने सिद्ध किया ब्राह्मण और बहुजन दो अलग-अलग मुल्क के हैं, इस तथ्य को इतिहास भाषा-शास्त्र और पुरातत्व के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया है. आधुनिक काल में सबसे प्रमाणिक जेनेटिक साईंस ने रिसर्च के आधार पर यह प्रमाणित कर दिया है कि ब्राह्मण भारत के मूलनिवासी नहीं हैं, बल्कि वह यूरेशिया के एस्किमोजी प्रांत का मूलनिवासी हैं, मानव शरीर के DNA में यह खास बात है कि हजारों साल की जानकारी DNA कोड के रूप में संरक्षित और सुरिक्षत रहती है. यह साईंटिस्ट का भी कहना है कि यह DNA काफी लंबी होती है और इस DNA में लाखों करोड़ों कोडोन होती है और उस कोडोन का अध्ययन करके, उस व्यक्ति की संपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं. हम कब बूढ़े होंगे, हमारा बर्ताव कैसा होगा या हमारे शरीर का आकार कैसा होगा? यह सारी जानकारी कोड के रूप में DNA में संरक्षित रहती है. इतना ही नहीं, हम कहाँ से आये है और हमारे पुरखे कौन थे और किस प्रदेश में सबसे पहले रहते थे और किन-किन प्रदेशों से गुजरते हुए कहाँ आये हैं? इसकी सभी जानकारी भी कोडोन के रूप में संरक्षित रहती है. जेनेटक शास्त्र इन जेनेटिक कोड का अध्ययन करके हमें बता सकते हैं कि वास्तव में हम कहाँ से आये हैं? इस बात को ध्यान में रखते हुए साइंर्टिस्ट माईकल बामशाद ने 2001 में DNA रिसर्च में यह सिद्ध कर दिया था कि ब्राह्मण विदेशी है. माईकल बामशाद ने यह भी साबित कर दिया है कि ब्राह्मण भारत में विदेशी है.


Chaudhry Vikas Patel 



DNA रिसर्च में खास बात यह है कि शरीर में सेल होते हैं और सेल के अंदर में DNA होता है. एक छोटा-सा शरीर का टुकड़ा मिल जाए, तो उससे हमें पूरी जानकारी मिल सकती है. राखीगढ़ी में जो मानव कंकाल मिले हैं, उसे मानव-कंकाल की DNA स्टडी पूरी हो चुकी है. उसने रिसर्च का रिपोर्ट ‘सेल’ नाम के जनरल में इसी साल प्रकाशित हो चुकी है. सेल नाम के जनरल में प्रकाशित रिपोर्ट में यह साबित किया गया है कि भारत में ब्राह्मण ईसा पूर्व 2000 साल पहले आए थे और यह कंकाल ब्राह्मणों के आने के 4600 साल पूर्व अर्थात ईसा पूर्व 2600 साल की है. इससे यह बात प्रमाणित होती है कि ब्राह्मणों के आने से पहले भी भारत के मूलनिवासी लोगों ने ही सिंधुघाटी सभ्यता का विकास कर लिया था. लेकिन ब्राह्मणों ने यहाँ आकर भारत वर्षीय सिंधुघाटी सभ्यता का विनाश कर दिया. ब्राह्मणों ने हमारे देश में आने के बाद यहाँ के मूलनिवासी लोगों के साथ अपने आपको मिक्स नहीं किया. बल्कि अपने आपको अलग ही रखा और अपने आपको अलग रखने के लिए अलग वर्ण बनाए. आज भी ब्राह्मण जाति के रूप में मूलनिवासियों से अलग है. इसे माईकल बामशाद ने 117 साईंटिस्ट की टीम के साथ मिलकर DNA रिसर्च किया और 2001 को यह सिद्ध किया कि ब्राह्मण भारत में विदेशी है और वह यूरेशिया से भारत में आए है.
Chaudhry Vikas Patel 


भारत में प्राचीन काल से ही ब्राह्मण और यहाँ के मूलनिवासियों के बीच में संघर्ष चल रहा था. इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में ब्राह्मण विदेशी है. इसलिए विदेशी ब्राह्मणों और यहाँ के मूलनिवासियों के बीच कठोर संघर्ष आज भी चल रहा है. यह संघर्ष केवल दो व्यक्तियों के बीच में संघर्ष नहीं है. बल्कि यह दो राष्ट्रों के बीच में संघर्ष है. ब्राह्मण इस देश में हिन्दू विरोध मुस्लिम, ऐसा गलत द्वी-राष्ट्र सिद्धांत बताने का प्रयास कर रहा हैं, जबकि DNA के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि ब्राह्मण विरूद्ध मूलनिवासी बहुजन द्वी-राष्ट्र का सिद्धांत है. जब तक यह सिद्धांत हमारे लोगां को समझ में नहीं आता है, तब तक हमें भारत का वास्तविक इतिहास समझ में नहीं आएगा. मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को ब्राह्मणों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए, इसलिए यह बात मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को समझने की जरूरत है.

A K Ambedkar


मूलनिवासी बहुजन समाज की शक्ति को कम करने के लिए ब्राह्मणों ने बहुजन समाज को 6000 जातियों में बाँटा है. हमारे लोग इतने भोले-भाले हैं कि 6000 जातियों में बंट भी गए. जिसके लिए मूलनिवासी बहुजन समाज को हमारे देश को बहुजन राष्ट्र बनाना होगा. तभी आपस में राष्ट्रीयता का विकास होगा और हमारे मूलनिवासी बहुजनों के बीच में जो आपसी मतभेद है वह कम होंगे और सम्राट अशोक की तरह बहुजन समाज के लोगों को इस देश को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाना होगा. तब जाकर हम सफल हो पाएंगे और भारत से विदेशी ब्राह्मणों को बाहर खदेड़ पाएंगे. जिसके लिए 01 सितम्बर, 2022 को बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम जी ने जो भारत बंद की घोषणा की है. उसमें सभी मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगां को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा और इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए तन, मन, धन से साथ-सहयोग करना होगा..
Chaudhry Vikas Patel 

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